मध्यप्रदेश विधानसभा उपचुनाव : भाजपा के पास 24 सीटों पर करीब 60 तो कांग्रेस के पास भी करीब इतने ही दावेदार
ग्वालियर टाइम्स
आगामी जून के महीने में होने जा रहे मध्यप्रदेश विधानसभा के उपचुनावों के लिये भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनैतिक दलों में टिकिट के लिये करीब ढाई गुना उम्मीदवारों की दावेदारी पहुंच चुकी है ।
सूत्रों से मिल रही खबरों और छनछन कर आ रही जानकारी के मुताबिक दोनों ही पार्टीयों में पुराने नेताओं की दावेदारी जोरों पर सामने आई है तो वहीं भाजपा में सिंधिया समर्थकों की दावेदारी अधिक है तो कांग्रेस में सिंधिया विरोधीयों की ।
कांग्रेस ने भी जहां सिंधिया के पुराने दमदार मुखर विरोधियों को चुनाव मैदान में लाने का प्रथम क्राइटीरिया रखा है और सिंधिया विरोधीयों को चुनाव लडाने और उन्हें जिता कर विधानसभा ले जाने का , सिंधिया और उनके समर्थन में इस्तीफा देने वाले विधायकों को मुंह तोड़ जवाब देने का , महल में गिरवी रखी कांग्रेस जैसे तमगे से छुटकारा पाने का सीधा सा एक सूत्रीय एजेंडा रखा है , इसके लिये कांग्रेस ने एक मशहूर गीत तैयार करके भी पूरे उपचुनावों वाले सभी 15 जिलों में इस गीत की घर घर कापीयां बंटवा दी हैं ।
वहीं दूसरी ओर भाजपा भी अभी सिंधिया के भरोसे चुनाव लड़ने में हिचकिचा रही है और किसी न किसी खास वजह से सिंधिया समर्थकों से एक समानांतर दूरी बना कर चल रही है , खास बात यह है कि भाजपा में ग्वालियर चंबल अंचल के ज्यादातर भाजपाई वे हैं जो सिंधिया के सताये जाने के कारण या तो कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुये और पद एवं नाम पाने के साथ वे भाजपा के पदाधिकारी भी बने ।
परशुराम मुदगल मुरैना के पुर्व विधायक रहे वे पहले कांग्रेस में थे लेकिन सिंधिया के विरोध के कारण हार कर वे पहले बसपा में और फिर भाजपा में शामिल हुये , वे सिंधिया से कांग्रेस में काफी परेशान रहे और अब सिंधिया भी भाजपा मे आ गये , वे भी मुरैना सीट से टिकिट मांग रहे हैं , उधर कांग्रेस के भी संपर्क में परशुराम मुदगल लगातार हैं और सुरेश पचोरी के माध्यम से टिकिट मांग रहे हैं , यदि भाजपा उन्हें टिकिट नहीं देगी तो कांग्रेस से टिकिट में सुरेश पचौरी उन्हें मदद कर वापस कांग्रेस में ला सकते हैं और टिकिट दिला सकते हैं , लिहाजा मुरैना विधानसभा का चुनाव का टिकिट कांग्रेस होल्ड पर रखेगी ।
इसी तरह मुरैना नगर निगम में अनेक पार्षद पहले कांग्रेसी थे जो सिंधिया के कारण कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गये थे जैसे केशव सिंह तोमर तथा अन्य लोग सिंधिया के विरोध और मुखाफलत के कारण सिंधिया द्वारा परेशान किये गये और सताये गये , बाद में ये सभी भाजपा में शामिल होकर पार्षद बन गये , ये सब भी सिंधिया के भाजपा में आने से परेशान और हैरान हैं , ये सभी आने वाले नगर निगम चुनावों में सिंधिया समर्थकों की टिकिट दावेदारी से तंग आकर वापस कांग्रेस की ओर रूख कर कांग्रेस के टिकिट पर फिर चुनाव लड़ कर पार्षद बनना पसंद करेंगें और चूंकि इस बार मेयर का चुनाव पार्षदों में से होना है और स्थानीय व राजनैतिक कारणों से कांग्रेस का मेयर बनना तय है , इसलिये बड़ी संख्या में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस में लोगों की वापसी होनी तय है , वहीं भाजपा के बुनियादी कार्यकर्ता अवसर जाने तक ही खामोशी की चादर ओढ़े हैं , टिकिट पर संकट और पदों पर संकट आते ही उनकी खामोशी टूटनी और बगावत के बिगुल भाजपा में बजना तय है , सबसे ज्यादा समस्या और बगावत भाजपा को सुमावली , जौरा और अंबाह विधांसभाओं में झेलनी होगी , भिंड की मेहगांव और गोहद विधानसभा सीटों पर भी तकरीबन यही हालत भाजपा की रहेगी ।
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